श्रद्धा के 35 टुकड़े कटे, एक प्रेमी बने कातिल ने यह काम किया ।हद ये है कि सभी उस शिकार बनी श्रद्धा को ही दोषी करार दे रहे हैं। शायद ही हत्यारे के लिए लोगों ने कुछ लिखा हो। पुरानी पीढ़ी तो जैसे इसे मौका मान कर अपनी भड़ास निकाल रही है। पुरानी पीढ़ी जो नयी पीढ़ी के स्वावलंबन और स्वनिर्णय से जली भुनी बैठी है, लड़कियों के लिए आदर्श बनाने में लगी है। माँ बाप लड़का पसन्द करके शादी कराते, माँ बाप बच्चों का बुरा नहीं चाहते आदि आदि। अभी कुछ वर्ष पूर्व तक arrange marriage ही होती रही थीं। क्या तब bride burning, दहेज उत्पीड़न से लड़कियाँ मारी नहीं जा रही थीं?सारे विवाह सफल हो रहे थे?
जाने क्यों असफल सी, अति सामान्य ज़िन्दगी जीने वाले, माँ-बाप इतने आत्मविश्वास से भरे होते हैं कि नयी पीढ़ी के सभी निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं। नौकरी का ‘न’ भी जो मातायें नहीं जानती पुत्र पुत्रियों को कौन सी नौकरी करनी चाहिए बताती रहती हैं। पति से पीड़ित, महत्वहीन, शोषित माँएं अपने बेटे-बेटियों की शादी कराने और शादी सफल कैसे हो ये उपदेश देती हैं।
विडम्बना यह कि बीवी को हर तरह से पीड़ित, शोषित करने वाले पति। संतानो को सुखी वैवाहिक जीवन के सपने भी दिखात हैं, सफलता के मंत्र भी बताते हैं।
सारे परिदृष्य को देख कर इतना दुःख हुआ, अपने आसपास के अपरिपक्व समाज की उपदेशावली पढ़ कर क्रोध आया तब लिखने को मजबूर हुई। चेहरे पर मुखौटा लगाये एक कातिल ने एक लड़की की हत्या की, उसे पापी ढोंगी को कोई कोस नहीं रहा। ऐसी दुर्घटना किसी भी स्त्री या पुरुष के साथ हो सकती हैं। युगों से ऐसे अपराधी मुखौटा लगा कर लूट पाट, हत्या चोरी करते आए हैं, बस अन्तर यह है कि यहाँ लड़की ने अपनी जिन्दगी की फैसला स्वयं लिया था, जो सारे रूढ़िवादी समाज के पेट में मरोड़ पैदा कर गया। इस घटना से दुःखी तो शायद ही कोई हो, पिछले कुछ वर्षों से लड़कियों की आत्मनिर्भरता से जले हुए समाज को लड़कियों को एक बार फिर से गुलाम बनाने उनके पंख कतरने का मौका मिल गया, जिसे सभी भुना रहे हैं। अफ़सोस… बेहद शर्मनाक..